Sunday, 30 May 2021

success story

आंखों में नींद बहुत है... पर सोना नहीं है.. राहों में समस्या बहुत है... पर घबराना नहीं है... हम उनमें से नहीं जो मंजिल पर पहुंचने से पहले लौट आए... हम वो शख्सियत है गर कुछ ठान ले तो उसे पाने के लिए रात दिन एक कर जाए।

साथियों जैसा की आप सभी अवगत हैं कि कुछ मोटिवेशन संदेश हमें निश्चित रूप से कुछ करने के लिए प्रेरणा देती हैं और जब हम किसी बड़े लक्ष्य प्राप्ति के लिए कार्य करते हैं तब यह संदेश और भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं। आखिर मोटिवेशन संदेश हमारे जीवन में क्यों इतना खास भूमिका निभाती है?  इसका  एक ही कारण है कि यह हमारे आत्मबल को एक नई ऊर्जा के साथ हमें एक विश्वास के मार्ग को भी प्रदान करती है कि हम अवश्य ही यदि सकारात्मक भाव से परिश्रम करें तो कठिन से कठिन मुकाम को प्राप्त कर सकते हैं।
 साथियों विश्वास नहीं करेंगे मैं स्वयं भी कुछ ऐसे लक्ष्य को निर्धारित करती हूं जो सोचने के पहले मुझे लगता है कि क्या यह संभव है? लेकिन दूसरी तरफ अपने दिल से कहती  हूं कि यदि तुम चाहो तो अवश्य ही कर सकती हो। और शीघ्र ही मैं उस कठिन से कठिन लक्ष्य को बहुत ही आसानी से प्राप्त कर लेती हूं।

 आप दुनिया के जितने भी प्रसिद्ध व्यक्तित्व को देखेंगे यह महसूस करेंगे कि जितने भी अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए रात दिन एक किये है ,वह अवश्य ही सफलता प्राप्त कियाे है।आज आप सभी के बीच एक ऐसे ही सफल व्यक्तित्व की स्टोरी आप सभी के बीच ला रही हूं ताकि आप भी अपनी ऊर्जा को आगे बढ़ाएं और अवश्य ही अपने सफलता के लिए सतत रूप से सही दिशा में कार्य करें -
एक बहुत ही गरीब विद्यार्थी था, उसे खाना खाने के लिए भी बहुत संघर्ष करना पड़ता था. दो वक्त की रोटी भी उसे सही से नसीब नहीं हो रही थी. वो लड़का बहुत ही मेहनती था, बिना किसी के सहायता लिए वह अपने स्कूल की फीस जमा किया करता था. वह भले ही एक समय खाना न खाता पर अपने किताबें भी वह स्वयं ही खरीदता था..

उसके सारे साथी उससे बहुत ही ज्यादा जलते थे. एक दिन उनके मित्रों ने उस लड़के पर एक लांछन लगाना चाहा और उसे झूठे आरोप में फसाने का उन्होंने फैसला किया.. एक दिन स्कूल की प्राचार्य अपने कक्ष में बैठे हुए थे तभी वे सब बच्चे उस लड़के की शिकायत लेकर वहाँ पहुँचे और प्राचार्य जी से बोले- यह लड़का रोज कहीं से पैसे चुराता है और चुराए पैसों से अपने स्कूल का फीस जमा करता है. कृपया आप इसे सजा दें!

प्राचार्य ने उस लड़के से पुछा- क्या जो ये सब बच्चे बोल रहे हैं वो सच है बेटे?

लड़का बोला- प्राचार्य महोदय, मैं बहुत निर्धन परिवार से हूँ, एक गरीब हूँ लेकिन मैंने आजतक कभी चोरी नहीं की.. मैं चोर नहीं हूँ!

प्राचार्य ने उस लड़के की बात सुनी और उसे जाने के लिए कहा..

लेकिन सारे बच्चों ने, प्राचार्य से निवेदन किया कि इस लड़के के पास इतने पैसे कहाँ से आते हैं इसका पता लगाने के लिए कृपया जाँच की जाये..

प्राचार्य ने जब जाँच किया तो उन्हें पता चला कि वह स्कूल के खाली समय में एक माली के यहाँ सिंचाई का काम करता है और उसी से वह कुछ पैसे कमा लेता है जो उसके फीस भरने के काम आ जाता है.

अगले ही दिन प्राचार्य ने उस लड़के को और अन्य सभी बच्चों को अपने कक्ष में बुलाया और उस लड़के की तरफ देखकर उन्होंने उससे प्यार से पुछा – “बेटा! तुम इतने निर्धन हो, अपने स्कूल की फीस माफ क्यों नहीं करा लेते?”

उस निर्धन बालक ने स्वाभिमान से उत्तर दिया- “श्रीमान, जब मैं अपनी मेहनत से स्वयं को सहायता पहुंचा सकता हूँ, तो मैं अपनी गिनती असमर्थों में क्यों कराऊँ? कर्म से बढ़कर और कोई पूजा नहीं होती, ये मैंने आपसे ही सिखा है!

छात्र के बात से प्राचार्य महोदय का सिर गर्व से ऊँचा हो गया, और बाकि बच्चे जो उस लड़के को गलत साबित करने में लगे थे उनको भी बहुत पछतावा हुआ और उन्होंने उससे माफी मांगी..

मेहनत करके अपने दम पर कमाने में विश्वास रखने वाला वह निर्धन बालक था – सदानंद चट्टोपाध्याय.. बड़ा होने पर ठीक बीस वर्षों बाद इन्हें बंगाल के शिक्षा संगठन के डायरेक्टर का पद सौंपा गया था.. उन्होंने एक बहुत अच्छी बात हम सबको सिखाई कि “मेहनती और सच्चे ईमानदार व्यक्ति हमेशा ही सफलता के ऊँचे शिखर पर चढ़ जाते हैं, और एक दिन अपने कठिन परिश्रम के बदौलत संसार भर में अपना नाम की छाप छोड़ जाते हैं”

 साथियों सफलता-असफलता का अपना-अपना पड़ाव होता है, हम हमेशा इसी बात पर अपना ध्यान केंद्रित करें कि क्या हम पूरे मन से परिश्रम कर रहे हैं, जब तक हम कठिन परिश्रम नहीं करेंगे, धुप में नहीं तपेंगे, सर्दी में नहीं ठिठुरेंगे तब तक कोई भी मुकाम हमसे बहुत दूर होगा और यदि हमें अपने लक्ष्य के करीब पहुंचना है तो संघर्ष और मेहनत करने से कभी मत चूकिए.. आप भी मेहनती बनिए, ईमानदार बनिए और सफलता के ऊंचे शिखर पर चढ़ जाइए. एक बात आप मान लीजिए जो भी परिश्रम करता है फल अवश्य ही प्राप्त करता है ।कभी भी पढ़ाई व्यर्थ नहीं जाता। परिश्रम सदैव ही हमें कंपाउंड रिजल्ट देता है। 

आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं- सीमा गुप्ता